These are the Nav Durga commonly known to all Devi Upasakas. But the
Nav Durga from Ugra Chanda Kalp aren't commonly known, sometimes we worship different type of Durga for some specific purpose, each of them is potent in some way -- so, for utilising that specific power of our Devi, it is necessary to know all about Her.
प्रथमं शैल-पुत्री च, द्वितीयं ब्रह्मचारिणी। तृतीयं चन्द्र घण्टेति, कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।
पञ्चमं स्कन्द-मातेति, षष्ठं कात्यायनीति च। सप्तमं काल-रात्रिश्च, महा-गौरीति चाष्टकम् ।।
नवमं सिद्धिदा प्रोक्ता, नव-दुर्गाः प्रकीर्तिताः ।।
Above is given in the starting of Chandi (Durga) Kavach in Durga Saptashati. Dhyan Mantra for each of above are as follows:
1) शैल-पुत्री Dhyan Mantra (D.M.)
वन्दे वाञ्छित-लाभाय, चन्द्रार्ध-कृत-शेखरां।
वृषारूढां शूल-धरां, शैल-पुत्रीं यशस्विनीम् ।।
2) ब्रह्म-चारिणी (D.M.)
दधाना कर-पद्माभ्यामक्ष माला-कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्म-चारिण्यनुत्तमा ।।
3) चन्द्र-घण्टा (D.M.)
पिण्डज-प्रवरारूढा, चण्ड-कोपारूत्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते महां, चन्द्र घण्टेति विश्रुता ।।
4) कूष्माण्डा (D.M.)
सुरा - सम्पूर्ण - कलशं, रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्त-पद्माभ्यां, कूष्माण्डा शुभदाऽस्तु मे ।।
5) स्कन्द-माता (D.M.)
सिंहासन-गता नित्यं, पद्माञ्चित कर-द्वया।
शुभदाऽस्तु सदा देवी, स्कन्द-माता यशस्विनी ।।
6) कात्यायनी (D.M.)
चन्द्र-हासोज्ज्वल-करा, शार्दूल-वर वाहना।
कात्यायनी शुभं दयाद्, देवी दानव-घातिनी ।।
7) काल-रात्रि (D.M.)
एक-वेणी जपाकर्ण-पूरा नग्ग्रा खरास्थिता ।
लम्बोष्ठी कर्णिका-कर्णी, तैलाम्यक्त-शरीरिणी।।
वाम-पादोल्लसल्लोह-लता-कण्टक-भूषणा।
वर्धन्-मूर्ध-ध्वजा कृष्णा, काल-रात्रिर्भयङ्करी।।
8) महा-गौरी (D.M.)
श्वेते वृषे समारूढा, श्वेताम्बर-धरा शुचिः ।
महा-गौरी शुभं दद्यान्, महा-देव-प्रमोददा।।
9) सिद्धि दात्री / सिद्धिदा Dhyan Mantra (D.M.)
सिद्ध - गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्य-माना सदा भूयात्, सिद्धिदा सिद्धि-दायिनी।।
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