64 Yogini Yantra is also worshipped everyday -- they remove any kind obstacles (तस्य विघ्नं प्रणश्यति) and protect a person. They are the Yogini of our Devi, they should be worshipped time to time, as Hanuman Ji does all the work of Shri Ram, same way Yoginis do all the work of the Devi. During Navratri it is said, all the Yogini roam everywhere and protect Devi Sadhak and check their level of Devi worship.
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|| 64 YOGINI STOTRAM ||
अं ह्रीं दिव्ययोगी महायोगी सिद्धयोगी गणेश्वरी।
प्रेताशी डाकिनी काली कालरात्रि निशाचरी (9)॥1॥
हुङ्कारी सिद्धवैताली ह्रीङ्कारी भूतडामरी ।
ऊर्ध्वकेशी विरूपाक्षी शुक्लाङ्गी नरभोजिनी (17)॥2॥
षट्कारी वीरभद्रा च धूम्राक्षी कलहप्रिया ।
राक्षसी घोररक्ताक्षी विश्वरूपा भयङ्करी (25)॥3॥
वैरी कुमारिका चण्डी वाराही मुण्डधारिणी।
भास्करी राष्ट्रटङ्कारी भीषणी त्रिपुनका (34)॥4॥
रौरवी ध्वंसिनी क्रोधा दुर्मुखी प्रेतवाहनी।
खट्वाङ्गी दीर्घलम्बोष्ठी मालिनी मन्त्रयोगिनी (43)॥5॥
कालिनी त्राहिनी चक्री कङ्काली भुवनेश्वरी।
कटी निकटी माया च वामदेवा कपर्दिनी (52)॥6॥
केशमर्दी च रक्ता च रामजङ्घा महर्षिणी।
विशाली कार्मुकी लोला काकदृष्टिरधोमुखी (59)॥7॥
मडोयधारिणी व्याघ्री भूतादिप्रेतनाशिनी।
चतुषष्टिः समाख्याता योगिन्यो वरदाः प्रदा।
त्रैलोक्ये पूजिता नित्यं देवमानवयोगिभिः॥9॥
चतुर्दश्यां तथाष्टम्यां सङ्क्रातौ नवमीषु च।
यः पठेत्पुरतो भूत्वा तस्य विघ्नं प्रणश्यति॥10॥
राजद्वारे तथोद्वेगे सङ्ग्रामे अरिसङ्कटे ।
अग्निचौरनिपातेषु सर्वग्रहविनाशिनि॥११॥
य इमां जपते नित्यं शरीरे भयमागते ।
स्मृत्वा नारायणी देवी सर्वोपद्रवनाशिनी॥१२॥
॥ इति श्रीचतुःषष्टियोगिनीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
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