Gayatri is the most popular as well most pure sattvik mantra. It is famous not only in India but worldwide; it is popularly linked with Gayatri-Pariwar and Arya Samaj — though there are no restrictions, anybody can chant this mantra without any Diksha or fee.
Below is Gayatri Chalisa as every deity in India has, some has more than one Chalisa for their name. Sometimes Chalisa tells many things about a deity, and sometimes it comes in another form like the below where each line is a mantra in itself; though there aren’t complete 40 lines but it is called Chalisa, sometimes lines are more than 40 — so don’t go just for lines, see if it works for your or not. After it, there is also an Aarti of Devi Gayatri.
गायत्री चालीसा
१) ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात ॥
२) ॐ दाशरथाय विदमहे सीतावल्लभाय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात ॥
३) ॐ जनक नन्दिन्यै विदमहे भूमितायै धीमहि तन्नो सीता प्रचोदयात ॥
४) ॐ दाशरथाय विदमहे उर्मला प्रियाय धीमहि तन्नो लक्ष्मणः प्रचोदयात ॥
५) अंजनी सुताय विदमहे वायु पुत्राय धीमहि तन्नो हनुमान प्रचोदयात ॥
६) देवकीनन्दनाय विदमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण: प्रचोदयात ॥
७) वृषभानुजायै विदमहे कृष्ण प्रियायै धीमहि तन्नो राधा प्रचोदयात ॥
८) नारायण विदमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो नारायण: प्रचोदयात ॥
९) गोपाल विदमहे गोपीजन वल्लभाय धीमहि तन्नो गोपाल: प्रचोदयात ॥
१०) वागीश्वराय विदमहे हयग्रीवाय धीमहि तन्नो हंसः प्रचोदयात ॥
११) नारायण विदमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात ॥
१२) महालक्ष्म्यै विदमहे विष्णु प्रियाय धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात ॥
१३) उग्रनसिंहाय विदमहे वज्र नखाय धीमहि तन्नो नरसिंह: प्रचोदयात ॥
१४) तत्पुरुषाय विदमहे स्वर्ण पक्षाय: धीमहि तन्नो गरुड़: प्रचोदयात ॥
१५) ॐ श्री तुलस्यै विदमहे विष्णु प्रियायै धीमहि तन्नो वृन्दा प्रचोदयात ॥
१६) ॐ सरस्वत्यै विदमहे ब्रह्म पुत्रयै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात ॥
१७) ॐ तत्पुरुषाय विदमहे महादेवाय धीमहि तन्नो शिवः प्रचोदयात ॥
१८) ॐ गिरिजाय विदमहे शिव प्रियायै धीमहि तन्नो गौरी प्रचोदयात ॥
१९) ॐ परमहंसाय विदमहे महाहंसाय धीमहि तन्नो हंसः प्रचोदयात ॥
२०) ॐ भास्कराय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात ॥
२१) ॐ क्षीर पुत्राय विदमहे अमृत तत्त्वाय धीमहि तनश्चन्द्रः प्रचोदयात ॥
२२) ॐ जमदग्न्याय विदमहे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात ॥
२३) ॐ परमब्रह्मणे विदमहे गुरुदेवाय धीमहि तन्नो गुरुः प्रचोदयात ॥
२४) ॐ महज्ज्वालाय विदमहे अग्नि देवाय धीमहि तन्नो अग्नि: प्रचोदयात ॥
गायत्री जी की आरती
१) जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता ॥
२) आदि शक्ति तुम अलख निरंजन जग पालन कर्त्री ॥
३) दुःख शोक भय क्लेश कलह दारिद्र्य दैन्य हर्त्री ॥
४) ब्रह्मरूपिणी, प्रणत पालिनी, जगत धातृ अम्बे ॥
५) भव-भय हारी, जन हितकारी, सुखदा जगदम्बे ॥
६) भयहारिणि, भवतारिणि, अनघे अज आनन्द राशी ॥
७) अविकारी, अघहरी, अविचलित, अमले, अविनाशी ॥
८) कामधेनु सत-चित-आनन्दा जय गंगा गीता ॥
९) सविता की शाश्वती, शक्ति तुम सावित्री सीता ॥
१०) ऋग्, यजु, साम, अथर्व, प्रणयिनी, प्रणव महामहिमे ॥
११) कुण्डलिनी सहस्रार सुषुम्रा शोभा गुण गरिमे ॥
१२) स्वाहा, स्वधा, शची, ब्रह्माणी, राधा, रुद्राणी ॥
१३) जय सतरूपा वाणी, विद्या, कमला, कल्याणी ॥
१४) जननी हम हैं दीन, हीन, दुःख दारिद के घेरे ॥
१५) यदपि कुटिल, कपटी कपूत तऊ बालक हैं तेरे ॥
१६) स्नेह सनी करुणामयि माता चरण शरण दीजै ॥
१७) बिलख रहे हम शिशु सुत तेरे दया दृष्टि कीजै ॥
१८) काम, क्रोध, मद, लोभ, दम्भ, दुर्भाव द्वेष हरिये ॥
१९) शुद्ध, बुद्धि, निष्पाप हृदय, मन को पवित्र करिये ॥
२०) तुम समर्थ सब भाँति तारिणी, तुष्टि, पुष्टि त्राता ॥
२१) सत मारग पर हमें चलाओ जो है सुखदाता ॥
२२) जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता ॥
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