Bhairava is another form of Shiva, intense, mightful and brave. As his another name is Kotwal, he is known for justice. He is also a great protector, loves things made of Udad-Ki-Daal and liquids such as Sharab (Desi or English).
Most of Goddesses are accompanied by a Bhairava; different Bhairava for different Goddess. I remember there are 52 Bhairavas somewhere, perhaps they might be more than that not quite sure; but few names I know are such as Kal Bhairava, Unmatta Bhairava, Krodha Bhairava, Kankal Bhairava, and Batuk Bhairava. They are worshiped for different purposes.
Bhairava who is with Kali, is known as Kal Bhairava. Some people worship Bhairava before starting Devi sadhana — but it may not quite necessary, one must follow the guidelines of one’s own guru.
Here is Chalisa and Aarti for pleasing Bhairava.
Chalisa
॥ दोहा ॥
श्री गणपति गुरु गौरी पद प्रेम सहित धरि माथ, चालीसा वंदन करो श्री शिव भैरवनाथ॥
श्री भैरव संकट हरण मंगल करण कृपाल, श्याम वरण विकराल वपु लोचन लाल विशाल॥
॥ चौपाई ॥
१) जय जय श्री काली के लाला, जयति जयति काशी- कुतवाला॥
२) जयति बटुक- भैरव भय हारी, जयति काल- भैरव बलकारी॥
३) जयति नाथ- भैरव विख्याता, जयति सर्व- भैरव सुखदाता॥
४) भैरव रूप कियो शिव धारण, भव के भार उतारण कारण॥
५) भैरव रव सुनि हवै भय दूरी, सब विधि होय कामना पूरी॥
६) शेष महेश आदि गुण गायो, काशी- कोतवाल कहलायो॥
७) जटा जूट शिर चंद्र विराजत, बाला मुकुट बिजायठ साजत॥
८) कटि करधनी घुंघरू बाजत, दर्शन करत सकल भय भाजत॥
९) जीवन दान दास को दीन्ह्यो, कीन्ह्यो कृपा नाथ तब चीन्ह्यो॥
१०) वसि रसना बनि सारद- काली, दीन्ह्यो वर राख्यो मम लाली॥
११) धन्य धन्य भैरव भय भंजन, जय मनरंजन खल दल भंजन॥
१२) कर त्रिशूल डमरू शुचि कोड़ा, कृपा कटाक्ष सुयश नहिं थोडा॥
१३) जो भैरव निर्भय गुण गावत, अष्टसिद्धि नव निधि फल पावत॥
१४) रूप विशाल कठिन दुख मोचन, क्रोध कराल लाल दुहुं लोचन॥
१५) अगणित भूत प्रेत संग डोलत, बम बम बम शिव बम बम बोलत॥
१६) रुद्रकाय काली के लाला, महा कालहू के हो काला॥
१७) बटुक नाथ हो काल गंभीरा, श्वेत रक्त अरु श्याम शरीरा॥
१८) करत नीनहूं रूप प्रकाशा, भरत सुभक्तन कहं शुभ आशा॥
१९) रत्न जड़ित कंचन सिंहासन, व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन॥
२०) तुमहि जाइ काशिहिं जन ध्यावहिं, विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं॥
२१) जय प्रभु संहारक सुनन्द जय, जय उन्नत हर उमा नन्द जय॥
२२) भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय, वैजनाथ श्री जगतनाथ जय॥
२३) महाभीम भीषण शरीर जय, रुद्र त्रयम्बक धीर वीर जय॥
२४) अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय, स्वानारुढ़ सयचंद्र नाथ जय॥
२५) निमिष दिगंबर चक्रनाथ जय, गहत अनाथन नाथ हाथ जय॥
२६) त्रेशलेश भूतेश चंद्र जय, क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय॥
२७) श्री वामन नकुलेश चण्ड जय, कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय॥
२८) रुद्र बटुक क्रोधेश कालधर, चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर॥
२९) करि मद पान शम्भु गुणगावत, चौंसठ योगिन संग नचावत॥
३०) करत कृपा जन पर बहु ढंगा, काशी कोतवाल अड़बंगा॥
३१) देयं काल भैरव जब सोटा, नसै पाप मोटा से मोटा॥
३२) जनकर निर्मल होय शरीरा, मिटै सकल संकट भव पीरा॥
३३) श्री भैरव भूतों के राजा, बाधा हरत करत शुभ काजा॥
३४) ऐलादी के दुख निवारयो, सदा कृपाकरि काज सम्हारयो॥
३५) सुन्दर दास सहित अनुरागा, श्री दुर्वासा निकट प्रयागा॥
३६) श्री भैरव जी की जय लेख्यो, सकल कामना पूरण देख्यो॥
॥ दोहा ॥
जय जय जय भैरव बटुक स्वामी संकट टार, कृपा दास पर कीजिए शंकर के अवतार॥
जो यह चालीसा पढे प्रेम सहित सात बार, उस घर सर्वानन्द हों वैभव बढ़े अपार ॥
Aarti
१) जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा, जय काली और गौर देवी कृत सेवा ॥
२) तुम्ही पाप उद्धारक दुःख सिन्धु तारक, भक्तो के सुख कारक भीषण वपु धारक ॥
३) वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल धारी, महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी ॥
४) तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होवे, चौमुख दीपक दर्शन दुःख खोवे ॥
५) तेल चटकी दधि मिश्रित भाषावाली तेरी, कृपा कीजिये भैरव, करिए नहीं देरी ॥
६) पाँव घुँघरू बाजत अरु डमरू डमकावत, बटुकनाथ बन बालक जल मन हरषावत ॥
७) बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावे, कहे धरणी धर नर मनवांछित फल पावे ॥
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