After Shiv Amogh Kavach, there is a Mala mantra, below Sahasrakshari Mala mantra is bigger than that It is generally not found in Kavach books. Please never do it alone 'coz this is a Ugra-Mala-mantra you may not be able to handle its energy, better is to add this after Shiv Amogh Kavach then do Path/chants.
For ease of reading I've divided this mala mantra into four paragraphs. Generally, Kavach who has Marak mantra or Marak Mala mantra along with them -- are very powerful. They protect us and also attack on negative forces at the same time. Maha Shivratri is the best time to awaken [Jagrat] such mantra. There are four Prahar in Maha Shivratri (first) 6 to 9 pm, (second) 9 to 12 am, (third) 12 to 3 am, (fourth) 3 to 6 am. In all the four Prahar we should chant Shiv mantra / Kavach / Mala mantra to get them awaken.
ॐ नमो भगवते सदाशिवाय सकलतत्त्वात्मकाय सर्व मन्त्रस्वरूपाय सर्वयन्त्राधिष्ठिताय सर्वतन्त्रस्वरूपाय सर्व तत्त्वविदूराय ब्रह्मरुद्रावतारिणे नीलकण्ठाय पार्वतीमनोहर प्रियाय सोमसूर्याग्निलोचनाय भस्मोद्धूलितविग्रहाय महा- मणिमुकुटधारणाय माणिक्यभूषणाय सृष्टिस्थितिप्रलय कालरौद्रावताराय दक्षाध्वरध्वंसकाय महाकालभेदनाय मूलाधारैकनिलयाय तत्त्वातीताय गङ्गाधराय सर्वदेवाधिदेवाय षडाश्रयाय वेदान्तसाराय त्रिवर्गसाधनायानेककोटिब्रह्माण्डनायकायानन्त वासुकि तक्षक ककर्कोटक शङ्ख कुलिकपद्म महापद्मत्यष्ट [In महापद्मत्यष्ट, द्म has single "e" matra on it, couldn't type.] नागकुलभूषणाय प्रणवस्वरूपाय चिदाकाशायाकाशदिक्स्वरूपाय ग्रहनक्षत्रमालिने सकलाय कलङ्क रहिताय [Paragraph 1/4]
सकललोकैककर्ने सकललोकैकसंहर्ने सकललोकैकगुरवे सकललोकैकभत्रै सकललोकैकसाक्षिणे सकलनिगम गुह्याय सकलवेदान्तपारगाय सकललोकैकवरप्रदाय सकल- लोकैकशङ्कराय शशाङ्कशेखराय शाश्वतनिजावासाय निरा- भासाय निरामयाय निर्मलाय निर्लोभाय निर्मोहाय निर्मदाय निश्चिन्ताय निरहङ्काराय निराकुलाय [ also somewhere निरंकुशाय] निष्कलङ्काय निर्गुणाय निष्कामाय निरुपप्लवाय निरवद्याय निरन्तराय निष्कारणाय निरातङ्काय निष्प्रपञ्चाय निःसङ्गाय निर्द्वन्द्वाय निराधाराय नीरोगाय निष्क्रोधाय निर्गमाय निष्पापाय निर्भयाय निर्विकल्पाय निर्भेदाय निष्क्रियाय निस्तुलाय निःसंशयाय निरञ्जनाय निरुपमविभवाय [Paragraph 2/4]
नित्य शुद्ध बुद्ध परिपूर्ण सचिदानन्दाद्वयाय परमशान्तस्वरूपाय तेजोरूपाय तेजोमयाय जय जय रुद्र महारौद्र भद्रावतार महाभैरव कालभैरव कल्पान्तभैरव कपालमालाधर खट्वाङ्ग खड्ग चर्मपाशाङ्कुश डमरुकर त्रिशूलचापबाणगदाशक्ति भिन्दपाल तोमर मुसल मुदगर प्रास परिघ भुशुण्डी शतघ्नी चक्राद्यायुध भीषणकरसहस्रमुख दंष्ट्राकरालबदन विकटाट्टहास विस्फारित ब्रह्माण्डमण्डल नागेन्द्रकुण्डल नागेन्द्रहार नागेन्द्रवलय नागेन्द्रचर्मधर मृत्युञ्जय त्र्यम्बक त्रिपुरान्तक विश्वरूप विरूपाक्ष विश्वेश्वर वृषभवाहन [Paragraph 3/4]
विश्वतोमुख सर्वतो रक्ष रक्ष मां ज्वल व्वल महामृत्युमपमृत्युभयं नाशय नाशय चोरभयमुत्सादयोत्सादय विषसर्पभयं शमय शमय चौरान्मारय मारय मम शत्रूनुच्चाट्योच्चारय त्रिशूलेन विदारय विदारय कुठारेण भिन्धि भिन्धि खङ्गेन छिन्धि छिन्धि खट्वाङ्गेन विपोथय विपोथय मुसलेन निष्पेषय निष्पेषय बाणैः सन्ताडय सन्ताडय रक्षांसि भीषय भीषय शेषभूतानि विद्रावय विद्रावय कूष्माण्ड वेताल मारीच ब्रह्मराक्षस गणान् सन्त्रासय सन्त्रासय मामभयं [माम + अभयं] कुरु कुरु वित्रस्तं मामाश्वासयाश्वासय नरक भयान मामुद्धरोद्धर सञ्जीवय सञ्जीवय क्षुत्तृड्भ्यां मामाप्याययाप्यायय दुःखातुरं मामानन्दयानन्दय शिवकवचेन मामाच्छादयाच्छादय मृत्युञ्जय त्र्यम्बक सदाशिव नमस्ते नमस्ते । [Paragraph 3/4]
Note: if you find any errors, please suggest appropriate corrections in the comment.
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