This festival is celebrated on Chaitra Vadi Ekadashi, this day, lord Govind (lord Vishnu) is worshiped. For his worship, उनकी मूर्ति या फोटो को ऊँचे शुद्ध स्थान पर पीला कपडा बिछाकर रखें फिर अर्घ्य, आचमन, भोग, धूप, दीप, फूल, इत्यादि से उनकी पूजा करें। तथा बाद में आरती तथा प्रदक्षिणा करें।
जैसे की पापमोचिनी एकादशी पाप काटने के लिए होती है, इस दिन झूठ, कपट, हिंसा, चोरी, परस्त्री (परपुरुष) गमन, चुगली, लोभ-लालच, अहंकार जैसे कुकृत्यों से बचना चाहिए। भगवान् से सही रास्ते पर चलने के लिए तथा मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना करनी चाहिये।
Papmochani Ekadashi Vrat Katha: अप्सरा तथा ऋषि के शिष्य का ब्रेकअप
एक बार एक ऋषि का शिष्य बन में तपस्या करता था। धीरे धीरे वो एक अप्सरा पर आसक्त हो गया तथा फिर दोनों साथ साथ रहने लगे। शिष्य की आसक्ति इतनी बढ़ी की वो भोग के साथ मोक्ष को भूल गया। भोग में ही मोक्ष का अनुभव करने लगा। पर एक दिन उसकी अप्सरा से लड़ाई हो गयी इस कारण कुछ समय उसने अकेले बिताया।
इस अकेलेपन में जब उसने विचार किया तो पाया को वो जप-तप-साधना से काफी दूर निकल चुका है। उसे इस कारणवश बहुत दुःख हुआ। पर उनके खुद को जिम्मेदार ठहराने की बजाये अंहकारवश अप्सरा को ही श्राप दे डाला। फिर बाद जब अप्सरा रोने लगी तो उसने अपने श्राप को ख़तम करने का उपाय भी बता दिया।
जो उपाय उसने अप्सरा का बताया वो चैत्र मास वदी पक्ष के दिन एकादशी का व्रत करने का था, जब शिष्य के गुरु (ऋषि) को उसकी हरकत पता चली तो उन्होंने शिष्य को भी एकादशी के दिन व्रत पूजा करने का आदेश दिया, क्योकि अप्सरा की गलती 100% नहीं थी, शिष्य की भी गलती थी। तभी से पाप काटने के लिए इस एकादशी की व्रत पूजा की जाती है।
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