फाल्गुन सुदी द्वादशी को खाटु श्याम जी की जात लगाई जाती है,ये वही है जिनको महाभारत में भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद मिला था, इसी कारण ये आज भी पूजे जातें है। ये इतने समर्थ थे की महाभारत का सम्पूर्ण युद्ध अकेले ही ख़त्म कर सकते थे, पर श्री कृष्ण के कारण युद्ध में भाग नहीं ले सके।
उनकी पूजा के लिए एक स्थान पर थोड़ी सी मिटटी बिछाकर, थोड़े चावल मिटटी की उपर बिछायें तथा इसके उपर एक घी का जलता हुआ दीपक रखा जाये। फिर इनकी रोली, अक्षत, चूरमा, जल, पुष्प, नारियल इत्यादि चीजों से पूजा की जाये। पूजा करने के बाद दान दक्षिणा में गरीबो की मदद करें। चूरमे के भोग को प्रसाद के रूप में वितरण करें तथा खुद भी ग्रहण करें।
इनके साथ भगवान् श्री कृष्ण की भी पूजा कर सकतें है, तथा इनकी शौर्यता की गाथा एक दूसरे को सुना सकते हैं। इस दिन के अलावा शादी व्याह में भी खाटू श्याम जी पूजे जाते है उस समय इनको “बरमानिया” के नाम से भी कहा जाता हैं।
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