आषाढ़ शुक्ल एकादशी को देव शयन करते हैं तथा कार्तिक शुक्ल एकादशी को सोकर उठ जाते हैं। जब देव सोये रहते है तब उनके बिना कोई शुभ कार्य करना अच्छा नहीं माना जाता, इसीलिए इस बीच शादी विवाह जैसे बड़े कार्य नहीं होते।
तो देवोत्थान (प्रबोधिनी) एकादशी कार्तिक शुक्ल एकादशी को पड़ती है। इस दिन पूजाघर को साफकर देवो के लिए भोग का समान रखा जाता है जिसमे पूड़ी, पकवान, बेर, गन्ना, तथा दूसरे ऋतु फल होते है तथा पास में एक दीपक भी रख दिया जाता है — इन सबको एक बड़ी छलनी से ढककर पूरी रात के लिए छोड़ दिया जाता है।
इस दिन देवो की पूजा के साथ लोग भगवान् विष्णु की भी पूजा करते है। इस एकादशी बाद से बड़े कार्यो का मुहूर्त निकाला जाता है।
As Ashtami is the day of Devi (any Devi), Ekadashi is the day or lord Vishnu (or his avatar, like Rama, Krishna, Narsimha and others). So whatever festivals fall on Ashtami and Ekadashi, Devi and lord Vishnu should be worshiped for their dedicated day. And yes don’t ever eat “rice” on any Ekadashi.
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