These festivals are hardly found on Google, they aren’t much popular but many people do them in India. Here is a short glimpse how they are celebrated.
Sanpda (Dasiya) Ka Dora Kholna — सांपदा (दसिया) का डोरा खोलना
जिस किसी स्त्री ने होली के दूसरे दिन दसिया का डोरा लिया हो वह वैसाख वदी कोई शुभ दिन देखकर यह सूत का धागा यानी डोरा खोल दे। डोरा खोलने के दिन व्रत करे सांपदा की कथा सुने। कहानी वही सुने जो डोरा बाँधने के समय सुनी हो।
घर में हलवा पूड़ी का भोजन शुद्धता, पवित्रता से बनाये।
Sanpda (Dasiya) Ka Udyapan — सांपदा (दसिया) का उद्यापन
इस व्रत का आठ वर्ष तक नियमित रूप से पालन करने के बाद इच्छानुसार शुभ दिवस चुनकर इसका उद्यापन कर दे। जिस दिन उद्यापन करे उस दिन गोटा लगी ओढ़नी ओढ़े। नाक में नथ धारण करे तथा हाथों में मेहँदी रचाये। फिर सोलह जगह ४-४ पूड़ी और हलवा रखे। फिर एक नयी साडी या ओढ़नी तथा एक रुपया रखकर उसे रोली चावल से फेरकर (मिन्स कर ) सासुजी का चरण स्पर्श कर उन्हें दे देवे। तत्पश्चात १६ सधवा ब्राह्मणियों को प्रेम पूर्वक भोजन करा कर उन सब को चरण स्पर्श कर श्रद्धा शक्ति के अनुसार दान दक्षिणा देकर उन्हें विदा करे।
Buddha Baaseda — बुडढा बासेड़ा
वैशाख लगते ही सोमवार, बुधवार या शुक्रवार के दिन बासेड़ा की तरह ही बुडढा बासेड़ा करे। इस दिन शीतला माता की पूजा करे। बासी पक्का खाना लेकर देवी को अर्पित करे और स्वयं भोजन करे। इस दिन शीतल माता की पूजा कर उन्हें पूड़ी और हलवा भी चढ़ाया जाता है। इस दिन बासी भोजन करने का ही विधान है। ताज़ी कोई नयी चीज़ नहीं खायी जाती है।
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