Goddess Kali is most popular Goddess, like Shiva you find her in most of the temples (where Baglamukhi, Dhoomavati, Chinnmasta and other Mahavidyas aren’t find in every temple). If you think about tantra or tantra-books, it starts with Kali and ends with Kali — in between there are other Goddesses too. Some would say, things starts with Tara and ends with Tara; some would prefer Tripura-Sundari — its all depends on which deity rules your heart and mind. All deities are important and no one is lesser than the other.
I think, all the ancient texts aren’t available — and they are one of the ways to know about different kinds of deities. The deity whose ancient-texts are more than others (I mean, didn’t ruined over time) becomes more available to people, that is the case.
Kali is the goddess which is worshiped even by other deities. In Mahabharata, Pandavas worshipped her for victory; in Ramayana lord Rama worshiped her before starting a fight with Ravana.
She looks horrible in appearance, but this look is for evil-doers; for her devotees she has a kind heart. To please her, after chanting her mantra or chalisa, it always good to chant her aarti that is following:
१) मंगल की सेवा सुन मेरी देवा ,हाथ जोड तेरे द्वार खडे ॥
२) पान सुपारी ध्वजा नारियल, ले ज्वाला तेरी भेंट धरें ॥
३) सुन जगदम्बे कर न विलम्बे, सन्तन के भण्डार भरे ॥
४) सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे ॥
५) बुद्धि विधाता तू जगमाता ,मेरा कारज सिद्व करे ॥
६) चरण कमल का लिया आसरा, शरण तुम्हारी आन पड़े ॥
७) जब जब भीर पड़ी भक्तन पर, तब तब आय सहाय करे ॥
८) ‘गुरु’ के वार सकल जग मोह्यो, तरूणी रूप अनूप धरे ॥
९) माता होकर पुत्र खिलावै, कहीं भार्या होकर भोग करे ॥
१०) शुक्र सुखदाई सदा सहाई, संत खडे जय जयकार करे ॥
११) ब्रह्मा विष्णु महेश फल लिए, भेंट देन सब द्वार खड़े ॥
१२) अटल सिहांसन बैठी माता, सिर सोने का छत्र फिरे ॥
१३) वार शनिशचर कुकम वरणी, जब लुंगड पर हुकुम करे ॥
१४) खड्ग खप्पर त्रिशूल हाथ लिये, रक्त बीज कूं भस्म करे ॥
१५) शुम्भ निशुम्भ क्षणहि में मारे, महिषासुर को पकड़ दरे ॥
१६) ‘आदित’ वारी आदि भवानी ,जन अपने का कष्ट हरे ॥
१७) कुपित होय कर दानव मारे, चण्डमुण्ड सब चूर करे ॥
१८) जब तुम देखो दया रूप हो, पल में सकंट दूर टरे ॥
१९) सौम्य स्वभाव धरयो मेरी माता ,जन की अर्ज कबूल करे ॥
२०) सात वार की महिमा वरनी, सब गुण कौन बखान करे ॥
२१) सिंह पीठ पर चढ़ी भवानी, अटल भवन में राज्य करे ॥
२२) दर्शन पावें मंगल गावें, सिद्ध साधक तेरी भेंट धरे ॥
२३) ब्रह्मा वेद पढ़े तेरे द्वारे, शिव शंकर हरी ध्यान धरे ॥
२४) इन्द्र कृष्ण तेरी करें आरती, चंवर कुबेर डुलाया करे ॥
२५) जय जननी जय मातु भवानी , अचल भवन मे राज करे ॥
२६) सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, मैया जय काली कल्याण करे ॥
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