Along with “Ambe Tu Hai Jagdambe Kali” this Aarti is also very popular — both are sung one after another. It is said, if you worship Goddess Durga then other Goddesses are also worshiped; she is everything and represents each and every Goddess.
If you see at line 13), I think it is written by Swami Shivanand, as he says that if you chant this Aarti you will get happiness and prosperity. Here you don’t need to put your name instead of his name, he is just confirming that you will get Goddess Durga blessings if you chant this Aarti.
१) जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी, तुमको निशदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
२) माँग सिंदूर विराजत टीको मृगमद को, उज्जवल से दोउ नैना, चंद्र्वन नीको ॥
३) कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै, रक्त पुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै ॥
४) केहरि वाहन राजत, खडग खपर धारी, सुर नर मुनि जन सेवत, तिनके दुखहारी ॥
५) कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती, कोटिक चंद्र दिवाकर सम राजत ज्योति ॥
६) शुम्भ निशुम्भ विदारे, महिषासुर घाती, धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥
७) चण्ड मुण्ड संहारे, शोणितबीज हरे, मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥
८) ब्राह्मणी रुद्राणी तुम कमलारानी, आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥
९) चौसठ योगिनी गावत नृत्य करत भैरुँ, बाजत ताल मृदंगा और बाजत डमरू ॥
१०) तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता, भक्तन की दुख हरता सुख सम्पत्ति करता ॥
११) भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी, मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥
१२) कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती, श्री मालकेतु में राजत कोटिरतन ज्योति ॥
१३) श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै, कहत शिवानंद स्वामी सुख सम्पत्ति पावै ॥
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